18-01-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन

‘‘सेवाओं के साथ-साथ एक दो के सहयोगी बन वायुमण्डल में तीव्र पुरूषार्थ की लहर फैलाओ, मनजीत बन आत्माओं की मन्सा सेवा करो’’

आज विशेष स्नेह का दिन है। चारों ओर के बच्चे स्नेह स्वरूप से मिलन मना रहे हैं। आप सभी भी स्नेह स्वरूप में मगन हैं। आज अमृतवेले से चारों तरफ के बच्चे अमृतवेले से भी पहले स्नेह रूप से दिल के स्नेह के मोतियों की मालायें लेकर पहुंच गये थे। अनेक प्रकार के भिन्न-भिन्न मन के भावों को बाप के आगे वर्णन कर रहे थे। आप जानते हो कि बच्चों का स्नेह कितना प्यारा है। भिन्न-भिन्न भाषायें, भिन्न-भिन्न भाव से बापदादा के आगे अपने दिल की बात बोल भी रहे थे और नयनों से मुख से अपने भाव भी स्पष्ट कर रहे थे। बापदादा चारों ओर के बच्चों के स्नेह के भाव देख सभी के स्नेह में समा गये और दिल से यही बोल निकले वाह बच्चे वाह! और बच्चों के मुख से वाह बाबा वाह! के गीत सुनाई दे रहे थे। बापदादा हर बच्चे को देख बच्चों के लव में लीन थे और बच्चे बाप के लव में लीन थे।

आज का दिन बाप बच्चों को बालक सो मालिक बनाने की दृष्टि से देख रहे थे। आज का दिन बच्चों के राज तिलक का दिन है। आज के दिन बापदादा स्वयं फरिश्ते रूप में रहकर बच्चों को विश्व सेवा अर्थ निमित्त बनाया। स्वयं बैकबोन बनें, बच्चों को विश्व स्टेज पर प्रत्यक्ष किया और बापदादा अभी बच्चों की सेवा को देख, जो जिम्मेवारी दी उसकी रिजल्ट को देख बच्चों पर बहुत-बहुत खुश है और दिल से मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो, मुबारक हो।

बापदादा ने देखा अभी भी बाप द्वारा दिये हुए विश्व सेवाधारी का वरदान हर बच्चे ने अति स्नेह और दिल से किया है और कर रहे हैं। रिजल्ट भी बापदादा ने देखी, हर एक बच्चे के दिल में लगन है मेरा बाबा और बाप के दिल में स्नेह है वाह मेरे बच्चे। वर्तमान समय मैजारिटी छोटे बड़े सेन्टर्स निवासी बच्चों में उमंग है कि अभी जल्दी से जल्दी चारों ओर बाप को प्रत्यक्ष करना ही है। यह उमंग, यह उत्साह बापदादा ने चक्र लगाके देखा, छोटे बड़े सेवाकेन्द्र के बच्चों को सेवा का उमंग बहुत-बहुत-बहुत अच्छा है और आगे भी अच्छा रहेगा। तो बापदादा आज स्नेह के दिन चारों ओर के चाहे देश, चाहे विदेश सभी बच्चों को अपने दृष्टि से, दिल से स्नेह और सेवा का रिटर्न दिल का स्नेह यादप्यार पदमगुणा दे रहे हैं।

अभी समय अनुसार जो उमंग है कि बाप को प्रत्यक्ष करना है, वह धीरे-धीरे आत्माओं के दिल में भी आने लगा है। समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियों ने कुछ पाया है, परिवर्तन हो रहा है। पहले जो समझते थे पता नहीं क्या करते हैं, अभी यहाँ तक आये हैं कि अच्छा कार्य कर रहे हैं। जो हम नहीं कर सकते वह इन्होंने अपने संगठन में सफलता पाई है इसलिए आज बापदादा सामने बैठे हुए बच्चों को वा चारों ओर जो भी बच्चे सुन रहे हैं, देख रहे हैं सभी बच्चों को दिल का स्नेह, दिल का प्यार विशेष दे रहे हैं। अभी आगे क्या करना है? सेवा की मुबारक तो बापदादा ने दे दी, अब बापदादा यही चाहते हैं कि अभी हर एक बच्चे को यह उमंग-उत्साह, दृढ़ निश्चय, तीव्र पुरूषार्थ करना है कि अब बाप समान फरिश्ता बनना ही है क्योंकि अभी सभी को बाप के साथ रिटर्न जरनी करनी है। समान फरिश्ता बनना ही है क्योंकि सभी का वायदा है साथ चलेंगे, साथ राज्य करेंगे। तो ब्रह्मा बाप भी फरिश्ता बन गया, तो साथ कैसे चलेंगे? ब्रह्मा बाप ने जीवन में ही फरिश्तापन का स्वरूप दिखाया। कितनी जिम्मेवारी रही! सभी को योगी बनाना ही है लेकिन इतनी जिम्मेवारी होते भी आप सबने देखा न्यारा और प्यारा रहा। सदा बेफिक्र बादशाह रहा, फिकर नहीं बेफिक्र बादशाह। ऐसे ही आप बच्चों को भी अभी बाप समान बेफिक्र बादशाह फरिश्ता बनना ही है। यह दृढ़ संकल्प है, बनना ही है! कि यह सोचते हो बन ही जायेंगे!

अभी बापदादा ने देखा कि अभी समय अनुसार जितना सेवा का उमंग-उत्साह प्रैक्टिकल में है इतना ही अभी तीव्र पुरूषार्थी बनना और बनाना, सम्पन्न बनना और बनाना, इस प्वाइंट के ऊपर भी अभी स्वयं भी उमंग-उत्साह में रहना और वायुमण्डल में भी उमंग-उत्साह दिलाना। एक दो के सहयोगी बन अब वायुमण्डल में तीव्र पुरूषार्थ की लहर फैलाओ। जैसे एक दो में सेवा का उमंग वायुमण्डल में फैलाया है ऐसे अभी बापदादा बच्चों में यही शुभ आशा रखते हैं कि यह लहर वायुमण्डल में फैले। बापदादा खुश है लेकिन अभी भी पुरूषार्थ है, तीव्र पुरूषार्थ करना है। अभी हर बच्चे में बापदादा की यही आश है तो हर बच्चा बाप के आशाओं का सितारा हो ना! हैं? जो समझते हैं हम बाप के आशाओं के सितारे बन यह उमंग-उत्साह वायुमण्डल में फैलायेंगे वह हाथ उठाओ। अच्छा। हाथ तो बहुत अच्छा उठाते हैं। बापदादा हाथों को देखके खुश हो जाते हैं। मैजारिटी ने हाथ उठाया है, पीछे वालों का दिखाई नहीं देता लेकिन आगे वालों का दिखाई दिया। अभी उठा रहे हैं पीछे वाले भी, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा। बापदादा ने देखा कि विशेष मन में कोई भी बात का उमंग-उत्साह आता है तो वह कार्य साकार रूप में अच्छा हो जाता है इसलिए बापदादा इस बारी स्नेह के दिन में यह होमवर्क दे रहा है कि हर एक बच्चा मन के कारण जो संकल्प और समय व्यर्थ जाता है, अगर कभी भी कोई व्यर्थ संकल्प आ जाता है तो सभी को अनुभव होगा कि उसमें टाइम कितना वेस्ट जाता है। इनर्जा कितनी वेस्ट जाती है। तो बापदादा यह होमवर्क देने चाहता कि यह दो मास हर एक बच्चा मन के व्यर्थ संकल्प और व्यर्थ समय की बचत का अपने प्रति विधि बनावे। इन दो मास में हर एक अपना चार्ट रखे कि व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प के ऊपर कितना कन्ट्रोल किया? क्योंकि अभी समय के प्रमाण आप सभी को मन्सा शक्ति द्वारा आत्माओं की मन्सा सेवा करने का समय होगा। इसके लिए सदा मन के ऊपर अटेन्शन रखना जरूरी है। कहा हुआ भी है मनजीत जगतजीत। तो मनमनाभव के वायुमण्डल में मन के व्यर्थ को सम्पन्न करना है। कर सकते हैं? करेंगे? वह हाथ उठाओ। बापदादा इनाम देगा। अपनी रिजल्ट आप देखना। मन खुश तो मन की खुशी बांटेंगे। यह पुरूषार्थ में नम्बर सभी आगे से आगे लेने का अटेन्शन रखो। व्यर्थ समाप्त, संकल्प समय दोनों समाप्त और समर्थ संकल्प, समर्थ समय आने वाले समय में वायुमण्डल में फैलेगा।

बापदादा एक बात पर बच्चों को देख खुश है। कौन सी बात पर? कि हर बच्चे ने सेवा तो की है लेकिन साथ में जो बापदादा का इशारा है कि डबल राजा बनो। जानते हो ना! एक स्वराज्य अधिकारी और दूसरा भविष्य राज्य अधिकारी। स्वराज्य अधिकारी और बाप को नशा है कि ऐसा और कोई बाप नहीं जिसका हर बच्चा स्वराज्य अधिकारी हो। आप सभी स्वराज्य अधिकारी हो ना! स्व पर आत्मा राज्य करने वाली है। कर्मेन्द्रियों के वश नहीं, राज्य अधिकारी। तो बाप यही चाहते हैं कि हर एक बच्चा स्वराज्य अधिकारी सदा रहे, कभी कभी नहीं। बन सकते हैं? यह दो मास जो दिया है, इसमें नोट करना स्वराज्य अधिकारी रहे? या कर्मेन्द्रियों के वश बन गये? अभी कर्मातीत बनना है, समय समीप आ रहा है। तो क्या करना है? चलते-फिरते स्वराज्य अधिकारी बनना ही है। यह संस्कार आप ब्राह्मण बच्चों के ही हैं। डबल राज्य, स्वराज्य और फिर भविष्य में विश्व राज्य। बापदादा चक्र लगाते बच्चों का रिजल्ट नोट करते हैं तो सदा स्वराज्य अधिकारी इसमें अभी अटेन्शन चाहिए। तो दो कार्य बापदादा ने दिया एक यह दो मास स्वराज्य अधिकारी कहाँ तक रहते? वह अपनी रिजल्ट देखनी है और साथसाथ मन की कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर द्वारा व्यर्थ समाप्त करना है। इसमें जो नम्बर लेंगे उसको बापदादा इनाम देगा। पसन्द है? करना है ना! करेंगे? करेंगे ना! कांध हिलाओ। अच्छा।

बापदादा ने आज सभी का जो स्नेह है वह स्वीकार किया। अमृतवेले तो वतन में भी बहुत बच्चों की रिमझिम थी। एडवांस पार्टी भी वतन में आज अपने दिल का स्नेह देने लिए, लेने लिए आये थे। अब वह बाप से पूछते हैं कि आखिर हमारा यह पार्ट कब तक? क्या जवाब दें? पहली लाइन वाले बताओ क्या जवाब दें? क्या कहा? (दादी जानकी ने कहा हम रेडी हैं) आप अकेले जायेंगी? (सभी जायेंगे) आपका प्यार है ना, ऐसे छोड़कर राज्य कैसे करेंगे। (एडवांस पार्टी वाले हमको क्यों छोड़कर चले गये) उन्हों का पार्ट था ना। उन्हों को जाना ही था। अभी आप यह कोशिश करो कि जल्दी जल्दी संगठन तैयार करो। जो दो मास काम दिया है ना, अगर यह काम आप सभी को करा देंगे, रिजल्ट निकालेंगे तो जल्दी हो जायेगा। (बाबा के स्नेह में कर लेंगे) स्नेह तो है, स्नेह में सभी पास है। बापदादा भी देखते हैं कि स्नेह सबका है लेकिन स्नेह के साथ शक्ति भी चाहिए। इसके लिए अमृतवेले को पावरफुल बनाओ, बैठते हैं बापदादा बैठने की मुबारक देते हैं लेकिन जो बैठने का वायुमण्डल शक्तिशाली चाहिए, कोई कैसे बैठता है, कोई कैसे बैठता है। अगर आप फोटो निकालो ना, तो आपको खुद लगेगा कि और कुछ होना चाहिए। जो बापदादा ने ज्वालामुखी योग कहा, उसके ऊपर अभी और गहरा अटेन्शन देना। पुरूषार्थ करते हैं सभी लेकिन पुरूषार्थ के आगे तीव्र शब्द जोड़ो। अभी बापदादा ने हर बच्चे को यह दो मास दिये हैं, इसमें जितना अटेन्शन देंगे तो अटेन्शन के साथ बापदादा भी एकस्ट्रा आपको सहयोग देगा। मन के मालिक, मन को ऐसे चलाओ जैसे पांव और बांह को चलाते हो। जो चाहते हो वह करते हैं ना। अभी आप चाहो यहाँ नहीं यहाँ रखूं तो रख सकते हो ना। ऐसे माइन्ड कन्ट्रोल, जो चाहे वही मन संकल्प करे। रोज़ रात को रिजल्ट देखो आज मन की रूलिंग पावर, कन्ट्रोलिंग पावर कहाँ तक रही? अभी व्यर्थ को समाप्त जल्दी-जल्दी करना चाहिए अब समर्थ बन वायुमण्डल में समर्थपन की शक्ति फैलाओ। बापदादा तो बच्चों का दु:ख दर्द, पुकार सुन करके बच्चों द्वारा अभी जल्दी समाप्ति कराने चाहते हैं। सुनाया ना, पुरूषार्थ सब कर रहे हैं लेकिन अभी एड करो तीव्र। करना ही है, करेंगे, देखेंगे... यह गे-गे नहीं चलेगा।

स्नेह का नज़ारा भी आज देखा, हर एक के दिल में कितना प्यार है लेकिन जितना प्यार है ना, साथ में उतना शक्ति भी चाहिए। अभी शक्ति को भरो। कभी भी कोई भी बहनें अपने को सिर्फ शक्ति नहीं, शिवशक्ति समझो। शिवशक्ति, बाप साथ है। पाण्डवों से पाण्डवपति साथ है। तो अभी क्या करेंगे? जो बापदादा ने कहा है पुरूषार्थ के आगे तीव्र शब्द लगाओ। वायुमण्डल बनाओ। एक दो के सहयोगी बन हर एक अपने-अपने स्थान पर रहते हैं, स्थान को शक्तिशाली बनाओ, साथियों को शक्तिशाली बनाओ। तो क्या करेंगे अभी? नवीनता करेंगे ना! जब मेरा बाबा कहते हैं, तो ‘मेरे’ जैसा बनना तो पड़ेगा ना। हर एक अपने दिल में दृढ़ संकल्प करो, संकल्प अच्छे-अच्छे करते हो, अमृतवेले बापदादा देखते हैं कि संकल्प अच्छे करते हो यह करेंगे, यह करेंगे, यह करेंगे लेकिन जब कर्मयोगी बनते हो, सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हो उसमें फर्क हो जाता है। कर्मयोगी की स्थिति उसमें अटेन्शन ज्यादा चाहिए। अच्छा।

सभी खुश तो हैं ना! खुश हैं? देखो नये-नये भी कितने आते हैं। जो नये पहली बार आये हैं वह हाथ उठाओ। देखो कितने हैं? आधा क्लास नये आये हैं। बापदादा आये हुए नये बच्चों को देख खुश है क्योंकि लास्ट समाप्ति के समय से तो पहले आ गये हैं। लेकिन जितना लेट आये हो इतना ही तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा क्योंकि इस थोड़े टाइम में आपको पूरे 21 जन्मों का भविष्य बनाना है। इतना अटेन्शन रखना पड़ेगा। समय को बचाना, सेकण्ड भी व्यर्थ नहीं गंवाना। तीव्र पुरूषार्थी रहना, साधारण पुरूषार्थ से पहुंचना मुश्किल है। फिर भी बापदादा आये हुए बच्चों को दिल से मुबारक दे रहे हैं। मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

सेवा का टर्न इन्दौर ज़ोन का है, 7 हजार आये हैं:- अच्छा। इन्दौर ज़ोन की टीचर्स हाथ उठाओ। बापदादा टीचर्स को मुबारक दे रहे हैं। बापदादा सभी टीचर्स को मुबारक क्यों दे रहे हैं? क्योंकि बापदादा ने देखा कि इन्दौर की सेवा में निमित्त जो बने हैं वह सेवा की रिजल्ट अच्छी दिखा रहे हैं। जो भी वहाँ के विशेष निमित्त बने हैं, बाहर वाले उन्हों से कनेक्शन अच्छा है। सन्देश अच्छा दिया है अभी आगे क्या करना है? इसमें तो ठीक है, इसकी तो बापदादा मुबारक देते हैं। लेकिन जितना सम्बन्ध-सम्पर्क में हैं, इन्हों को अभी वारिस बनाओ। सम्पर्क वाले हैं लेकिन वारिस क्वालिटी बाप के आगे लाओ। ला सकते हो, कनेक्शन अच्छा है। (खांसी आ रही है)

आज रथ की तबियत थोड़ी ढीली है। फिर भी बापदादा तो मिलने आ गये। बापदादा को बच्चों को देखकर खुशी होती है वाह बच्चे वाह! यही दिल से निकलता है। जितना आप दिल से वाह! बाबा वाह! कहते हो उससे ज्यादा बापदादा वाह! बच्चे वाह! कहते हैं। तो इन्दौर वाले कनेक्शन जो है उसको थोड़ा समीप लाओ। ला सकते हो। उम्मींदवार हैं। उम्मींदवार को सामने लाओ। अच्छा। फिर भी सेवा के निमित्त आ गये हो बापदादा भी खुश होते हैं कि एकज्ञ्एक ज़ोन को बहुत अच्छा यह चांस मिलता है। ज्यादा से ज्यादा संख्या लाने का चांस मिलता है, तो यह प्रोग्राम बहुत अच्छा बनाया है। हर एक ज़ोन को चांस मिलता है लेकिन चांस लेके फिर उसका रिजल्ट भी निकालना, बापदादा के सामने लाने का। अच्छा।

डबल विदेशी 400 आये हैं:- बहुत अच्छा। डबल विदेशी यज्ञ का श्रृंगार हैं। जब भी आते हैं ना तो यज्ञ का श्रृंगार हो, सभी कितने खुश होते हैं क्योंकि आपकी एक विशेषता अच्छी है, जो भी करना है ना वह फौरन करते हो, लम्बा नहीं करते हो। बापदादा देखते हैं कि उमंग-उत्साह ज्यादा बढ़ता जा रहा है। कोई भी ऐसा टर्न नहीं होता जिसमें डबल विदेशी नहीं हों। तो बापदादा डबल विदेशियों को टाइटल देता है डबल पुरूषार्थी। अभी करके दिखाना। डबल पुरूषार्थी बनके रिजल्ट दिखाना। बापदादा को मालूम है सेवा बढ़ती रहती है, समाचार आता रहता है। सेवा भी अच्छी है, अभी सिर्फ जो आज कहा ना, पुरूषार्थ के आगे तीव्र शब्द सदा लगाओ। तो तीव्र पुरूषार्थी बच्चे सदा बापदादा को अपने दिल में रखते और बापदादा हर बच्चे को अपने दिल में रखते। सबके दिल में बापदादा है ना। हाथ उठाओ। दिल में कौन रहता है? बापदादा। और बापदादा के दिल में आप बच्चे हैं। बापदादा, जिन बच्चों ने खास यादप्यार भेजी है उन्हों को खास यादप्यार दे रहे हैं। जयन्ती बच्ची ने भी बहुत दिल से यादप्यार भेजा है, गायत्री बच्ची ने भी भेजी है और किसका भी नाम था, तो जिन्होंने विशेष यादप्यार भेजी है, बाप ने भी उन्हों को विशेष यादप्यार दी है। और अगर किसी की कोई भी आश है तो उस आश को पूरा करते हुए उन्हों को आगे बढ़ाते चलो। आशायें इन्हों की खराब नहीं होती हैं, अच्छी होती हैं। सेवा का उमंग भी अच्छा होता है तो जिन्होंने खास याद भेजी है उन्हों को बापदादा पदमगुणा यादप्यार दे रहे हैं। अच्छी आलराउण्ड सेवाधारी है। ऐसे नहीं कहो और याद नहीं हैं, याद सब हैं लेकिन उन्होंने विशेष भेजी है इसलिए विशेष दे रहे हैं। कमाल हैं, कोई ज़ोन में विदेशी मिस नहीं होते हैं। (वजीहा ने बहुत प्यार से याद करके पत्र लिखा है) बच्ची अच्छी याद में रहती है। बापदादा ने देखा कि बच्ची की बीमारी ने कितनों का कल्याण किया है। डाक्टर्स भी इसको देखकर खुश होते हैं कि बीमार देखने में नहीं आती है, जितनी बीमारी है! खुशमिजाज रहती है। इसको कहा जाता है बीमारी के ऊपर विजयी। बीमारी अपना काम कर रही है और बच्ची अपने याद के काम में बिजी है। यह भी डबल विदेशियों का एक्जैम्पुल है। तो डबल विदेशियों को बापदादा दिल से यादप्यार भी देते हैं और विशेष मुबारक देते हैं मधुबन का श्रृंगार बनके आने का। अच्छा लगता है ना आप लोगों को? सभी बच्चों को भी आप लोगों का आना देख करके खुशी होती है। सबके दिल से वाह! वाह! निकलती है। अभी कमाल तो की है जो जगह-जगह पर अपना सन्देश दिया है लेकिन अभी वारिस क्वालिटी तैयार करो, विदेश से वारिस लाओ तैयार करके। कर सकते हो क्योंकि सबमें फास्ट जाने वाले हो ना। तो यह भी कर सकते हो। अच्छा।

टीचर्स बहिनें बहुत आई हैं:- टीचर्स को देखकर तो बापदादा बहुत खुश होते हैं क्योंकि जो निमित्त टीचर्स बनी हैं, वह बापदादा को प्रत्यक्ष करने के निमित्त बनी हुई हैं। कोई भी टीचर को देखते खुश होते हैं क्योंकि टीचर्स माना ही जिसके फीचर्स से फ्युचर दिखाई दे। फ्युचर आपका क्या है? फ्युचर है सदा दिलखुश, सदा अधिकारी, अधीन होने वाले नहीं। तो टीचर्स के फीचर्स यह साक्षात्कार कराते हैं। हर एक टीचर सदा यही समझे कहाँ बोला, कहाँ नहीं बोला भले, लेकिन आपके फीचर्स वर्तमान समय की प्राप्ति और भविष्य की प्राप्ति आपकी शक्ल दिखाती है। सदा यह अटेन्शन रखो कि हमारा चेहरा ऐसा साक्षात्कार कराने वाला है? कोई भी टीचर के सामने आये, टीचर को देख एक तो खुशमिजाज हो जाए, खुशी उसके जीवन में दिखाई दे। ऐसे खुशनुमा और खुशकिस्मत हो। बापदादा ने देखा है हर एक टीचर का लक्ष्य अच्छा है। करना ही है। बनना ही है। ऐसे है ना? लक्ष्य क्या है? यही लक्ष्य है ना! तो यह लक्ष्य लक्षण में दिखाई देता भी है और ज्यादा दिखाई देना चाहिए। जो भी आवे खुशी जरूर ले जाये क्योंकि खुशी हर मनुष्य को आवश्यक है। चाहते हैं लेकिन बन नहीं पाते हैं तो टीचर्स माना फीचर्स द्वारा भी सेवा करे। अनुभव करें कि यह क्या बन गई है! अभी आगे चल करके आपका चेहरा और चलन यह सेवा ज्यादा करेगा क्योंकि जैसे समय नाजुक आयेगा तो समय कम मिलेगा लेकिन चाहना बढ़ेगी, कुछ मिले, कुछ मिले। इसके लिए टीचर्स को सदा ऐसे एवररेडी रहना चाहिए, जो कोई आवे वह कम से कम कुछ लेके ही जावे। चेहरे और चलन द्वारा भी कुछ न कुछ लेके जाये। दाता के बच्चे हो ना! बापदादा तो टीचर्स को देखकर बहुत खुश होते हैं। दिल ही दिल में गुण गाते हैं वाह टीचर्स वाह! क्योंकि हर एक टीचर सेवा तो करते ही हैं और अपनी रिजल्ट रात को भी देखते होंगे कि आज की सेवा क्या हुई! अपना चार्ट तो आपेही देखते हैं। जो लक्ष्य रखा सेवा का वह हुआ। अगर नहीं हुआ कारणे अकारणे, तो दूसरे दिन डबल करो। खाली नहीं छोड़ो क्योंकि टीचर्स माना निमित्त दाता के बच्चे दाता। तो बापदादा तो खुश होते हैं चाहे छोटे सेन्टर की हैं चाहे बड़े सेन्टर की हैं लेकिन त्याग करके सेवास्थान पर आना यह भी हिम्मत है ना। तो बापदादा आपकी हिम्मत पर तो खुश है। अब आरै साथी बनाओ। आरै भी टीचर्स निकालो क्योंकि सेवा बढ़नी ही है। अभी थोड़ा हंगामा होगा और सब उत्कण्ठा से आपके आगे आयेंगे। सर्विस बढ़ने वाली है, कम होने वाली नहीं है। अच्छा है, एक ज़ोन की हैं और दूसरी तो थोड़ी होंगी। (2000 टीचर्स आई हैं) मुबारक हो टीचर्स को।

कलकत्ता वालों ने बहुत अच्छा श्रृंगार किया है:- कलकत्ता वालों ने यह सेवा बहुत अच्छी दिल से ली है। बापदादा देखते हैं श्रृंगार क्या भी हो लेकिन दिल से करते हैं। बापदादा दिल देखते हैं इसमें, श्रृंगार नहीं देखता वह तो चलते-फिरते दिखाई दे देता है लेकिन दिल से करते हैं इसकी मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा है। वैसे भी कलकत्ता ब्रह्मा बाप की दिव्य जन्म भूमि है। अच्छा है। आपकी इन्चार्ज दादी भी वन्डरफुल पार्ट बजा रही है। अभी सभी ज़ोन को बापदादा कहते हैं अभी सेवा वारिस क्वालिटी लाओ अभी इसमें नम्बर लो। सेवास्थान बढ़ाये और बाप के बच्चे भी बढ़ाये इसकी तो मुबारक है लेकिन अभी हर ज़ोन लक्ष्य रखे वारिस क्वालिटी बढ़ाओ। बापदादा हमेशा कहते हैं कि माइक भी हो वारिस भी हो, ऐसी क्वालिटी बढ़ाओ। जिसके कहने से, एक के कहने से अनेक प्रभावित हो जाएं। इसको कहते हैं क्वालिटी। अच्छा।

चारों ओर के अति स्नेही, सहयोगी, सर्विसएबुल बच्चों को बापदादा स्नेह के दिन की, स्नेह भरी यादप्यार दे रहे हैं और साथ-साथ बापदादा हर स्नेही बच्चों को यह बात कह रहे हैं कि अब हर बच्चे को तीव्र पुरूषार्थ में नम्बरवन का लक्ष्य रख बनना ही है और ड्रामा बनायेगा ही। सभी बच्चों को चारों ओर के कहाँ भी बैठे हैं, बापदादा सभी को देख रहे हैं कैसे उमंग-उत्साह से बैठे हैं, सुन भी रहे हैं, देख भी रहे हैं। एक-एक बच्चे को स्नेह भरी यादप्यार और मुबारक हो, मुबारक हो।

दादियों से:- अच्छा देखो, सभी दादियां जो भी हैं ना निमित्त वह बहुत प्यारी हैं। (दादी गुल्जार बहुत अच्छी है) आप नहीं होती तो क्या करते। सभी दादियां भी प्यारी हैं, न्यारी हैं। (बाबा की दुआयें बहुत हैं)

मोहिनी बहन से:- यह बहादुर है, ठीक हो जायेगी। बापदादा चला रहा है ना। यह भी चल रही है, बापदादा चला रहा है। थोड़ा बहुत हिसाब चुक्तू करके चल तो रही है, आ तो गई। बहुत अच्छा।

बापदादा को हर बच्चा ऐसा प्यारा है, चाहे दादियां आगे आती हैं आप नहीं आते हो लेकिन बाप को हर बच्चा प्यारा है। ऐसे नहीं समझो हम तो दूर से देखने वाले हैं, दिल में रहने वाले हैं। अच्छा।

परदादी से:- आपका ज़ोन आया है, देखा कितने अच्छे-अच्छे आये हैं। अच्छा।

(तीनों भाईयों ने बापदादा को गुलदस्ता दिया) आपकी त्रिमूर्ति भी अच्छी है।

(रमेश भाई ने गाडली वुड स्टुडियो का फोटो बापदादा को दिखाया और बताया कि 26 जनवरी को उद्घाटन है) बहुत अच्छा, अभी खूब चलाना, सभी जोर देके चलाना। नई-नई बातें करना, होंगी। सेवा माना मेवा खाना। सेवा नहीं कर रहे हो मेवा खा रहे हो। (ऊषा बहन को बहुत उमंग था सेवा का) उसकी भावना काम करेगी। जो भावना सेवा की रही ना, उसके दिल में भावना रही सेवा हो, सेवा हो, वह काम करेगी। सेवा का उमंग था तभी तो परिवार को भी प्यारी, बाप को भी प्यारी। (रमेश भाई से) आपकी तबियत ठीक है? चलाओ।

भूपाल भाई से:- अभी आफीसर ठीक हो गया। अभी कुछ न कुछ करता रहता है। उसको योग से ठीक करो और जाकरके थोड़ा सेवा करो। जिससे उसको लगे कि यह कितने शभचिंतक हैं। यह अनुभव जरूर करें। ठीक हो जायेगा फिर। अच्छा।

गोलक भाई से:- (बहुत मेहनत करता है) मेहनत का फल इसको अन्दर मिल रहा है। मेहनत व्यर्थ नहीं जाती। मेहनत का फल यह है जो सबका प्यार है, यह फल है। कोई बात हो जाती है वह बात दूसरी है, लेकिन दिल का प्यार है। अच्छा।

नारायण दादा और मनोज से:- दोनों आये हैं बहुत अच्छा। अच्छा है आ गये ना। हर टर्न में आपको आना चाहिए। पहले आते थे, अभी कभी-कभी आते हो। कभी-कभी बाबा को अच्छा नहीं लगता। आना चाहिए क्योंकि बाप चाहते हैं कि हर आत्मा आगे से आगे बढ़े। आयेंगे, जायेंगे, मिलेंगे खुशी होगी। चेहरा खुशनुमा हो जायेगा और विचार खत्म हो जायेंगे। विचार करते हो ना! वह खुशमिजाज हो जायेंगे क्योंकि फिर भी ज्ञान मिला हुआ है ना। यह भी खुश। आप दोनों को तो ऐसा खुश रहना चाहिए जो कोई पूछे कहाँ से मिली खुशी। होना चाहिए। अच्छा है। खुश रहेंगे ना तो प्रॉब्लम सब खत्म हो जायेंगी, गैरन्टी है। सोचते हो ना, खुश रहो। जितना खुश रहेंगे उतनी तबियत भी अच्छी और सभी देख करके भी खुश हो जायेंगे। फिर भी सम्बन्ध है ना, परिवार से, कितने सम्बन्धी हैं। कहाँ भी रहो लेकिन सेवा करो चेहरे से। जो भी देखे कौन हैं यह, कहाँ से आये हैं। पालना तो ली है ना।